लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो।मै अच्छी हूं ।बात 13 जून की है । रिश्तों की बातें याद आ गयी ।वो बात भी जो उस दौरान मेरे साथ घटी रही थी।लो तुम्हारे सामने प्रस्तुत है हाल-ए-दिल
मैं उदास हूं अब पूछोगी नही कि क्यों ।बस मन नही लग रहा है सुबह से । पतिदेव अहमदाबाद गये है । कपड़ा देखने।मैने तुम्हे पहले भी बताया था ना कि वो मेरे मायके कम जाना पसंद करते है। अहमदाबाद मेरी बड़ी बहन रहती है उनका ट्रांसपोर्ट का काम है।खूब पैसे वाले है ।हम लोग मिडिल क्लास फैमिली है।ये नही है कि हम बहन भाईयो के रिश्तों मे पैसा आ जाता है नही बिलकुल नही मै मायके मे सब से छोटी हूं।सब बहन वभाई मुझ से बड़े है । मिडिल क्लास होते हुए भी अगर मायके मे या बहनों को मै कुछ कह दूं तो वै तुरंत मेरी बात मान लेते है।अब इन्हें नही पसंद है आना जाना तो मै क्या कर सकती हूं। दीदी ने एक बार फोन भी कर लिया कि आप कहां है आ जाइए घर ।पर महाशय को होटल मे ठहरना मंजूर है पर मेरी बहन के जाना मंजूर नही ।अब वो मुझे कह रही है कि जीजा जी आये नही देख ले।इधर से पतिदेव ये कह रहे है कि उनके फोन आये।तुम मुझे धक्के से भेज रही है अपनी बहन के। ओओओ हो।मै तो परेशान हो गयी सही कहा है औरत हमेशा दो पाटों के बीच पीसती रहती है एक पाट ससुराल का होता है और एक पाट मायके का।मायके मे कोई पति की बुराई करदे तो बुरा लगता है ओर ससुराल मे कोई मायकेवालों की बुराई कर दे तो बुरा लगता है बेचारी औरत जाए कहां वैसे कहने को दो घर हे पर है एक भी नही उसका।बस अब और नही लिखा जा रहा ।आंखे भर आयी ।अब चलती हूं । अलविदा सखी।
Teena yadav
13-Dec-2022 10:13 PM
बिल्कुल सही कहा है आपने,, स्त्री को दोनो परिवारो की इज्जत बचाने का जिम्मा जन्म लेते ही सौप दिया जाता हैं 😔
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Abhilasha deshpande
12-Dec-2022 11:47 PM
Nice
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Abhinav ji
12-Dec-2022 08:12 AM
Very nice👍
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